भारत की राष्ट्रपति ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सभा के आठवें सत्र के प्रारम्भिक सत्र का उद्घाटन किया

सौर ऊर्जा केवल बिजली उत्पादन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह सशक्तीकरण और समावेशी विकास का भी प्रतीक है: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

जैसे-जैसे हम बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा संयंत्रों का विस्तार कर रहे हैं, हमें यह सुनिश्चित करना है कि क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन बना रहे: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु

राष्ट्रपति भवन : 28.10.2025

भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने आज 28 अक्तूबर, 2025 को नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन सभा (आईएसए) के आठवें सत्र के प्रारम्भिक सत्र का उद्घाटन किया।

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आईएसए मानवता की समावेशिता, सम्मान और सामूहिक समृद्धि के स्रोत के रूप में सौर ऊर्जा का प्रयोग करने की साझा आकांक्षा का प्रतीक है।

राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से पूरा विश्व प्रभावित हो रहा है और इस खतरे से निपटने के लिए तत्काल और ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। भारत जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है और कड़े कदम भी उठा रहा है। उन्होंने कहा कि आईएसए, सौर ऊर्जा को अपनाने और उपयोग को प्रोत्साहित करके इस वैश्विक चुनौती से निपटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपनी विकास यात्रा में समावेशिता को लेकर चलता है। दूर- दराज के इलाकों में स्थित घरों को रोशन करने के हमारे अनुभव से हमारा यह विश्वास प्रमाणित होता है कि सामाजिक समानता के लिए ऊर्जा समानता एक आधार है। सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा मिलने से समाज सशक्त बनता है, स्थानीय अर्थव्यवस्था का विकास होता है और ऐसे अवसर उपस्थित होते हैं जो बिजली की आपूर्ति तक सीमित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा केवल बिजली उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सशक्तीकरण और समावेशी विकास के लिए भी आवश्यक है।

राष्ट्रपति ने आईएसए के सभी सदस्य देशों से आग्रह किया कि आधारभूत संरचना से आगे भी सोचने और लोगों के जीवन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के दौरान एक ऐसी सामूहिक कार्य योजना तैयार की जानी चाहिए जिससे सौर ऊर्जा से रोज़गार सृजन, महिला नेतृत्व, ग्रामीण आजीविका और डिजिटल समावेशन को बढ़ावा मिले। हमारी प्रगति का आकलन केवल मेगावाट बढ़ने से नहीं बल्कि समृद्ध हुए जीवन, परिवारों की सुदृढ़ता और समाज में होने वाले परिवर्तनों की संख्या से होना चाहिए। प्रौद्योगिकी विकास और नवीनतम एवं उन्नत तकनीकों का लाभ सबको मिले इस पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि अधिकतम लाभ मिल सके। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि जैसे-जैसे हम बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा संयंत्रों का विस्तार कर रहे हैं, हमें यह सुनिश्चित करना है कि क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन बना रहे क्योंकि पर्यावरण संरक्षण से ही हरित ऊर्जा को अपनाया जा सकता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपने देशों के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए और केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए ही नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी और अधिक समर्पण के साथ कार्य करना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस सभा में किए जाने वाले विचार-विमर्श और लिए जाने वाले निर्णय सौर ऊर्जा के उत्पादन के लिए महत्पूर्ण होंगे और एक समावेशी और समतामूलक विश्व के निर्माण में योगदान देंगे।

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